sauteli ma se ma banne ka safar in Hindi Women Focused by Tripti Singh books and stories PDF | सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 1

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सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 1

ये कहानी पूरी तरह से मेरी कल्पना पर आधारित है ये कहानी पूरी तरह से मेरी कल्पना पर आधारित है अगर इस कहानी या इसके किसी भी पात्र से आपको भावनात्मक रूप से ठेस पहुंचाती हैं तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ मेरा उद्देश्य आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है 🙏




जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक दूसरी माँ या सौतेली माँ के लिए हमारे मन में क्या छवि होती है लेकिन क्या सभी सौतेली माँए एक जैसी होती है




आज एक महीना हो गया था शिवराज जी की पत्नी की मृत्यु को और बेटे के पैदा हुए ।
अब सभी रिश्तेदारों का कहना ये था कि वे दूसरा विवाह कर ले क्योंकि उनका बेटा अभी एक महीने का ही था जिसे एक माँ की ममता की बहुत जरूरत थी।

लेकिन शिवराज जी दूसरे विवाह के लिए बिल्कुल भी राजी नहीं थे, जिसके दो कारण थे पहला ये कि वो अपनी पत्नी से अत्यधिक प्रेम करते थे उन दोनों के विवाह को 15 साल बीत चुके थे लेकिन उन्हें इतने सालो मे एक भी संतान नहीं थी लेकिन वो दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे
और अब जब उन्हें संतान हुई तो उनकी पत्नी ही नहीं रहीं।

दूसरा कारण ये कि वो ऐसा बिल्कुल नहीं चाहते थे कि उनके बेटे अखण्ड के लिए एक सौतेली माँ आए वे बहुत चिंतित थे ये सोच कर की क्या दूसरी माँ उनके बेटे को वो ममता दे पाएगी जो उसकी माँ से उसे मिलती सभी के बहुत मनाने के बाद भी शिवराज जी विवाह के लिए नहीं मान रहे थे। उनका कहना था कि वो अकेले ही अपने बेटे अखंड को सम्भाल लेंगे और उसकी परवरिश भी कर लेंगे।

शिवराज जी के परिवार में पहले वो और उनकी पत्नी रचना जी ही थी अब उनकी पत्नी के जाने के बाद वो और उनका बेटा अखंड है लेकिन जब रचना जी की मृत्यु हुई तब से शिवराज जी की बुआ जी भी यही रहने लगी थी

बुआ जी का कहना ये था कि शिवराज जी दूसरा विवाह कर ले ताकि अखंड को सम्भालनें वाली आ जाए तो वो भी अपने घर वापसी करे क्योंकि उन्हें बहुत चिंता होती थी शिवराज जी और अखंड की वो दोनों कैसे रहेंगे उपर से अभी अखंड सिर्फ 1 ही महीने का है

आज फिर एक बार बुआ जी शिवराज जी को समझाने और विवाह के लिए मनाने मे लगी थी लेकिन शिवराज जी थे कि मान ही नहीं रहे थे लेकिन बुआ जी भी कहां उन्हें मनाए बगैर मानने वाली थी उन्होंने हर तरह के पैंतरे लगा कर अखिरकार शिवराज जी को दूसरे विवाह के लिए मना ही लिया

इधर शिवराज जी मान गए और उधर बुआ जी की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था हालाँकि उन्हें रचना जी की मृत्यु का अत्यन्त दुःख भी था लेकिन अब हम क्या ही कर सकते हैं जाने वाले को कौन रोक सकता है

शिवराज जी मान तो गए थे बुआ जी कहने से लेकिन उन्हें अखंड की बहुत चिंता होने लगी थी उनका सोचना भी ठीक था क्या उनके दूसरे विवाह से सब ठीक हो जाएगा क्या अखंड को उनकी दूसरी पत्नि वो माँ की ममता दे पाएगी जिसकी अखंड को आवश्यकता है

इधर बुआ जी शिवराज जी की दूसरे विवाह के लिए हामी भरते ही वो लड़की खोजने मे लग गई। लेकिन उन्हें उनके घर की बहू बनाने और अखंड की माँ बनने लायक कोई नहीं लगी क्योंकि सभी शिवराज जी के जायदाद के लिए उनसे विवाह करना चाहती थी।

इतनी खोजबीन करने के बाद बुआ जी को अखिरकार वो मिल ही गई जैसी लड़की की उन्हें तलाश थी

त्रिवेणी ये वही लड़की है जिसे बुआ जी ने शिवराज जी की पत्नी और अखंड की माँ के रूप में पसन्द किया है
त्रिवेणी एक गरीब परिवार से आती है जब वो छोटी थी तभी उसके माता पिता दोनों ही चल बसे इसीलिए वो अपने मामा मामी के साथ उनके घर में रहती हैं त्रिवेणी 12वीं पास है हालांकि वो और पढ़ना चाहती थी लेकिन घर के हालात के चलते वो आगे नहीं पढ़ पाई
त्रिवेणी के मामा मामी के कोई बच्चे नहीं थे जिसके कारण त्रिवेणी को ही वो दोनों अपनी संतान के रूप में मानते हैं

आज के भाग मे अगर मुझसे कोई भी गलती हुई हो तो मुझे क्षमा कीजिएगा आप सभी 🥰🙏🙏🙏